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इस से मेरा मनोबल और बिया आज गया।
मैंने कुछ दिर बाद अपना एक हाथ दीदी की पैंटी में डाल दिया
और उनकी गुफ़ा सहलाने लगा।
दीदी आराम से सो रही थी और कोई रियक्ट भी नहीं कर रही थी।
कुछ दिर बाद मैंने दीदी को हिलता हुआ सा देखा
इस से मेरा मनोबल और बिया आज गया।
मैंने कुछ दिर बाद अपना एक हाथ दीदी की पैंटी में डाल दिया
और उनकी गुफ़ा सहलाने लगा।
दीदी आराम से सो रही थी और कोई रियक्ट भी नहीं कर रही थी।
कुछ दिर बाद मैंने दीदी को हिलता हुआ सा देखा